ब्रह्मांड की उत्पत्ति को लेकर बहुत सारी बातें आपने सुनी होंगी पर उनमें से तथ्य कुछ ही है। कहा जाता है कि हमारे ब्रह्मांड की संरचना द बिग बैंग से हुई थी अर्थात हमारा पूरा संसार एकल परमाणु से बिग बैंग के कारण बना।इस एकल परमाणु से अनन्त ऊर्जा निकली जिससे ब्रह्मांड का विस्तार हुआ। वैज्ञानिकों के अनुसार, ब्रह्मांड अनन्त है अर्थात इसका कोई अंतिम छोर नहीं है। ब्रह्माण्ड के विस्तार के साथ ही सौरमंडल की उत्पत्ति भी हुई जिसमें कुछ छोटे और कुछ बड़े ग्रह, तारे, क्षुद्रग्रह, उल्कापिंड आदि चीज़ों के मौजूद होने के प्रमाण मिले। हमारा सौरमंडल मिल्की वे आकाशगंगा में मौजूद है। हमारी ही आकाशगंगा की तरह ब्रह्माण्ड में अनगिनत आकाशगंगाएं है जिनकी खोज अभी नहीं हुई है।
खगोल वैज्ञानिकों का मानना है कि हमारी पृथ्वी की तरह ब्रह्माण्ड में और भी कई ऐसे ग्रह हो सकते है जहां जीवन संभव हो सकता है। अभी हमारे ब्रह्माण्ड के बहुत सारे क्षेत्रों की खोज संभव नहीं हुई है पर हमारे वैज्ञानिक कोशिश कर रहे है ताकि भविष्य में हम अपने ब्रह्माण्ड के बारे में और जानकारी प्राप्त कर सके और अपने अस्तित्व को समझ सके।
अपने ब्रह्माण्ड को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने अपनी खोज हमारे ग्रह के उपग्रह, चांद से शुरुआत की जहां से हमें पृथ्वी और अन्य ग्रहों की उत्पत्ति के बारे में जानकारी एवं उनकी संरचना के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त हुई। कुछ समय बाद हमने धरती के सबसे करीबी ग्रह, मार्स अर्थात मंगल की ओर रुख किया जहां से हमें यह पता चला कि पृथ्वी के अलावा मंगल पर भी कभी पानी था जो अब बर्फ बनके उसके गर्भ में जमा है। वैज्ञानिकों की कोशिश अब यह है कि इंसान मंगल ग्रह पर जा सके और वहां के वातावरण को समझ कर वहां पर जीवन की खोज कर सके।
इसके लिए पूरे विश्व की अन्तरिक्ष एजेंसियों के साथ ही भारत के भी अपने कार्यक्रम “मिशन मंगल’ के अंतर्गत वर्ष 2014 में मंगल की कक्षा में अपने मंगलयान को प्रथम प्रयास में ही सबसे कम खर्च में भेजकर कीर्तिमान स्थापित किया था।हालाँकि अन्तरिक्ष मिशनों में दुश्वारियां भी कम नहीं रही है जैसे वर्ष 2019 में चाँद की सतह पर उतरने से ठीक पहले हमारा चन्द्रयान-2 कहीं गायब हो गया था। जीवन में सफलता- असफलता से कहीं अधिक ज़रूरी है ‘प्रयास’- इसमें हम कभी भी पीछे नहीं रहे हैं।
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