मुंह से भाई हिंदी चीनी,
पीठ में घोंपा छूरा ।
कैनवास के पहने जूते,
विस्तार ने हमको घूरा ।
दर्रा था नाथू ला का,
बासठ का बदला पूरा ।
गद्दारी ही फितरत उसकी,
सपना विस्तार अधूरा ।
फोड़ ही देते आंखे उसकी,
गर सरहद रंग हो भूरा ।
बन व्यापारी भारत का,
मुद्रा का जाल फैलाया ।
पैठ बनाई घर-घर में,
स्वदेशी से भरमाया ।
जरुरी था आंख मिलाना,
झूला खूब झूलाया ।
डोक लाम की गुत्थम-गुत्थी,
सीमा पार भगाया ।
खुलती नहीं है आंखे जिसकी,
पुनः आंख दिखाया ।
कोरोना हथियार बनाकर,
पावर सुपर राज है खोला ।
गलवान घाटी में हाथापाई,
बहिष्कार देश ने बोला ।
विपदा में अवसर चूमा,
स्वनिर्भरता का चोला ।
बीस के बदले मारे चालीस,
वीर का तमगा डोला ।
श्रद्दा सुमन है अर्पित वीरों,
अमरत्व पथ सो जाओ ।
कसम हमें वीर वधू की,
गर चीनी कुछ भी लाओ ।
अक्साई चीन की राह धरो,
ड्रेगन की पूंछ दबाओ ।
बीस का भारत घुस कर मारा,
दुनिया को बताओ ।
तिरंगा है कफ़न हमारा,
चीनी को आंख दिखाओ ।
जयहिंद!!!
इस कविता को सुनने के लिए इस लिंक पर आयें: https://youtu.be/Ayua04XMaco
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति सरजी
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति सरजी
Beautiful