माँ
छोटा सा शब्द है- ‘माँ’ ।
अपने अंदर भावनाओं से परिपूर्ण खुद पसीने से सराबोर, लेकिन अपने आँचल की छाँव में, कोमल स्नेहलता से संभालती, अपने स्नेहमयी ममता से बचाती है अपने शिशु को-
कभी धूप, कभी वर्षा कभी तेज़ आंधी तो कभी खुद भूखे रहकर।
ये है वो माँ जिसे परिभाषित करना कठिन है ।
इसलिए आदिशक्ति के जैसे दस हाथों से संभालती है अपने बच्चों को -एक माँ।
चित्रांकन व रेखांकन : नन्दिनी सारंगी
Very emotional ❤️❤️❤️ amazing work ????
Very touching
Beautiful