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माँ

माँ

    छोटा सा शब्द है- ‘माँ’ ।

अपने अंदर भावनाओं से परिपूर्ण खुद पसीने से सराबोर, लेकिन अपने आँचल की छाँव में, कोमल स्नेहलता से संभालती, अपने स्नेहमयी ममता से बचाती है अपने शिशु को- 

 कभी धूप, कभी वर्षा कभी तेज़ आंधी तो कभी खुद भूखे रहकर। 

     ये है वो माँ जिसे  परिभाषित करना कठिन है ।  

इसलिए आदिशक्ति के जैसे दस हाथों से संभालती है अपने बच्चों को -एक माँ। 

 

चित्रांकन व रेखांकन : नन्दिनी सारंगी

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This Post Has 3 Comments

  1. Shashikala Yadav

    Very emotional ❤️❤️❤️ amazing work ????

  2. Rajesh

    Very touching

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