हुंकार थी बाबू कुंवर की,
मंगल ने मंगल गान किया,
कारतूस थे चर्बी वाले,
मतवालों ने संकल्प लिया,
सन् सत्तावन की गाथा है,
चमक उठी तलवारों की,
कहानी लहू के कतरे में,
आजादी के परवानों की ।
बंग भूमि में संग “चाकी” के,
अठारह में फांसी को चूमा,
पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण,
कफ़न ओढ़ के, घर था सूना,
गरम नरम की बात निराली,
स्वदेशी थी भारत की अकड़ी,
बंग विभाजन, मन में काली,
तिलक, विपिन, लाला की तिकड़ी ।
ख़ून मुझे दो, दूं आजादी,
वीर वधू ने भरी थी झोली,
छोड़ो भारत, वतन है मेरा,
जतन करो, मत मारो गोली,
बिस्मिल बोले जान मेरी लो,
अशफाक हिन्द का प्यारा बेटा,
सुखदेव, भगत और राजगुरु की,
फांसी में आंसू का टोटा,।
गुमनाम रहे, वीरों के तेवर,
अंग्रेजों के इतिहासों में,
ख़ून के आंसू रोती माता,
आजाद हिंद के नारों से,
किसको फांसी, गर्दन ज्यादा,
बंदूकों में कम थी गोली,
जय भवानी, वीर शिवाजी,
वंदेमातरम् हर की बोली।
विरासत में थी मिली आजादी,
क्रांतिकारी का भूलें अर्पण,
भारत मां के कटे थे बाजू,
टूटा हुआ था दर्पण,
देश, धर्म सब होते बौने,
सत्ता की मलाई के आगे,
सिंहासन की चाकर विद्या,
कुंभकरण, निंद्रा से जागे ।
हरित क्रांति का बीन बजा,
भुखी नागिन नाच रही,
आर्य भट्ट का सपना इसरो,
चंद्रयान, नारी सम्मान कही,
देवदूत बन उभरा भारत,
विश्व कल्याण की राह पुरानी,
सत्य, अहिंसा धर्म की बेला,
भारत की अब नई कहानी ।
जय हिन्द!
Nice