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अजनबी शहर के अजनबी रास्ते

अजनबी शहर के अजनबी रास्ते

 

अजनबी शहर के अजनबी रास्ते

खोजते हैं हमें

देखते हैं कहां

कल थे हम जहां

पर वो तो थे हम

कल उनके वास्ते

 अजनबी शहर के अजनबी रास्ते…

शाम हो जाती थी

जाम भर जाते थे

हमारे नाते ही

मैखाने  के वास्ते

 अजनबी शहर के अजनबी रास्ते…

इश्क ने हमें

नेस्तनाबूत कर दिया

क्या पता कब खा गया

वह हमें आस्ते आस्ते

 अजनबी शहर के अजनबी रास्ते…

खाई है कसम उन्होंने

मिलने की हमें

इंतज़ार  करेंगे हम

उस बेवफा के वास्ते

अजनबी शहर  के अजनबी रास्ते…

अजनबी शहर  के अजनबी रास्ते…

 

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This Post Has 4 Comments

  1. Rashi

    Agar milne ka wada karke nibhaya to bewafa kahna to theek nahi ajnabi ban jaana majburi ho sakti hai.Anyway iski gahrai samjhane ke liye shukriya

    1. Avatar photo
      Seemant Srivastava

      शुक्रिया, कृपया अन्य पोस्टों पर भी अपनी राय रखें. हम अपने पुरोधा लेखकों से भी आप की राय और सुझाव पर प्रतिक्रिया की अपेक्षा करते हैं.

  2. Rashi

    Jab milne ki kasam khai usne to bewafa kaise

    1. Avatar photo
      Seemant Srivastava

      प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद । काव्य की सुन्दरता ही यही है कि, अजनबी रास्तों ने मिलने की कसम खाई है-फिर से अजनबी कर देने को ।

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