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आशिकी

काश मौत से मेरी आशिकी होती,

कुछ इश्क़ होता कुछ दिल्लगी होती,

साथ अपने संजोए होते न जिंदगी के ख्वाब-

हमराही मेरी राह में मौत के फरिश्ते होते।

जिंदगी की बेवफाई से जो टूटे हम,

मौत की खामोश मोहब्बत से लरज़ते होते ।

इकरार न करते हम कुछ आंख मिचौली होती,

काश मौत से मेरी आशिकी होती ।

मौत आती नहीं, जिंदगी पुरज़ोर है-

साथ में सांसो का बहुत शोर है-

हर आवाज़ जिंदगी की मोहब्बत का एहसास दिलाती है,

हर एहसास के साथ साथ जिंदगी साथ आती है ।

हाथ लेकर मेरा दो कदम-

साथ मेरे मौत चलती,

काश मौत से मेरी आशिकी होती ।

बेदर्द हर दर्द जिंदगी के साथ चलता है-

मौत आती तो साथ कुछ घड़ी खुशी लाती,

जिंदगी नाम के इस गीत की-

न सांसों की मौसिकी होती-

काश मौत से मेरी आशिकी होती ।


Photo by Mateus Souza from Pexels

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This Post Has 11 Comments

  1. Somit srivastava

    धन्यवाद कविता जी प्रतिक्रिया देने का, कृपया अपने कॉमेंट्स से उत्साह वर्धन करती रहें।

  2. Kavita

    बहुत ही बेहतरीन कविता

    1. Somit srivastava

      धन्यवाद कविता जी प्रतिक्रिया देने का, कृपया अपने कॉमेंट्स से उत्साह वर्धन करती रहें।

  3. Soha

    Bahut hi sunder likha apne.Mei jitni baar padti hu aankhei num ho jati hai.
    Aise hi kuch kahna chahti hu”Tum par bhi yakeen hai,maut pe bhi aitbaar hai.Dekhte hai pahle tum aate ho ya woh, hume to dono ka intezar hai.”

    1. Somit srivastava

      ज़िन्दगी तूने मुझको ऐसे क्यूं प्यार किया हैं,
      यकीं भी मुझ पे कर मौत पर ऐतबार किया है ,
      इंतजार फिर क्यों मुहब्बत पे यकीं कम कर के,
      ज़िन्दा जो रहते है हम तुम्ही पे मर कर के।

      1. Rashi

        Bahut khoob .Aashiqui aur maut pe kuch likhne ki koshish kari hai .
        “चन्द सांसे बची हैं आखिरी दीदार दे दो,
        झूठा सही एक बार मगर प्यार दे दो ।
        जिन्दगी तो वीरान थी पर मौत तो गुमनाम न हो,
        मुझे गले लगा लो फिर मौत मुझे हजार दे दो ।”

        1. Rashi

          Shukriya,lekin lagta hai jinhone ye kavita likhi unko mera is tarah likhna pasand nahi aya .

        2. Somit srivastava

          धन्यवाद राशी जी,
          मेरी रचनाओं पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए, कुछ चीज़े लाजवाब होती हैं उनका जवाब देना उसका अपमान होता है, ऐसी ही है आपकी वो लाइने। लेकिन इल्तज़ा है –
          मुलाकात जब उनसे हो तो समा लेना,
          अपने आगोश में उसको छुपा लेना,
          अश्कों से भीगा कर उसके कांधे को,
          फिर मिलने की कौल दिला देना।

  4. Dev Anand Mishra

    Bahut khub likha hai..

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